
चाणक्य नीति: नन्हे शिशु के किस्मत के फैसले मां के गर्भ से ही हो जाते हैं
आयु
आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के इस श्लोक के अनुसार किसी भी शिशु की आयु मां के गर्भ में ही तय हो जाती है। बच्चा अल्पायु होगा या दीर्घायु ,इस संसार में आ पाएगा या नहीं, ये सब मां के गर्भ में ही तय हो जाता है।
कर्म
आचार्य चाणक्य के अनुसार हर व्यक्ति को अपने कर्मों के हिसाब से सुख-दुख भोगना पड़ता है। ये कर्म सिर्फ वर्तमान के नहीं बल्कि पिछले जन्म से भी तय होते हैं। लाख प्रयास के बाद आपके कर्म के आधार पर ही आपके अच्छे और बुरे का फैसला होता है।
धन और विद्या
आचार्य चाणक्य के इस श्लोक के अनुसार मां के पेट में ही ये निर्णय हो जाता है कि बच्चे के भाग्य में धन लाभ है या नहीं। बच्चा कहां तक पढ़ेगा,विद्या ग्रहण कर ली तो उसका कितना जीवन में सदुपयोग कर पाएंगा, यह सभी बातें मां के गर्भ में तय हो जाती हैं।
मृत्यु
आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य के जीवन में लगभग 101 बार मृत्यु का योग बनता है, जिसमें एक बार काल मृत्यु और बाकी अकाल मृत्यु होती हैं। इन अकाल मृत्यु को कर्म और भोग से बदला जा सकता है